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निर्मल रचनाकार-प्रीति कुमारी

निर्मल रचनाकार

हिन्दी साहित्य के वे निर्मल रचनाकार,
जिन्होंने दिया ज्ञान को है ऐसा आकार जिनकी रचना का है ऐसा आधार
जिससे मिट जाए जीवन का अन्धकार जो लिखते हैं शब्दों के छन्द,
नाम है उनका मुन्शी प्रेमचन्द ।
नहीं है उनके जैसा कोई साहित्यकार
जिसने हमेशा अपनी रचनाओं से
मानवीय संवेदनाओं से करवाया है
हमारा साक्षात्कार ।
चाहे ईदगाह का मार्मिक चित्रण हो,
या हो पंच परमेश्वर जैसी जीवन्त रचनाएँ
या फिर गोदान, कफन, निर्मला,
सेवा सदन जैसी रचनाएँ 
उनकी अनगिनत सार-गर्भित रचनाओं से आती हैं ,
मन को आह्लादित करने वाली व्यथा
उनकी जीवन्त रचनाओं को पढकर
मानो यूँ प्रतीत होता है जैसे
साहित्य के पात्र मानो हमारे
इर्द-गिर्द ही घूम रहे हों
कि जैसे हमारे आस -पास की ही
घटनाएँ घटित हो रही हैं ।
जिनके कलम में मानो जादू का पुट हो
जिन्हें कथा -सम्राट की उपाधि मिली है
ऐसे महान साहित्यकार को मेरा
शत-शत नमन है
जिनकी कथाएँ मानव जीवन को
झकझोर देती हैं
ऐसे महान साहित्य रत्न को मेरा
नमन वंदन है

प्रीति कुमारी
कन्या मध्य विद्यालय मऊ विद्यापति नगर
समस्तीपुर

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