प्रकृति बासंती रंग में रंगाई
शीत शरद की हो रही विदाई
धरती मानो ले रही अंगड़ाई
ऋतुराज की हो रही अगुवाई
प्रकृति बासंती रंग में रंगाई।
गुनगुनी धूप, स्नेहिल हवा
सुंदर दृश्य, सुगंधित पुष्प
मंद-मंद मलय पवन,
वृक्षों पर बौर की सुगंध
अमराई की भीनी-भीनी
खुशबू हवा में फैलाई।
प्रकृति ने श्रृंगार करवाई
तरुवर लताएं नवपल्लव-
नवकुसुमों से सजी-संवरी
नई-नई कोपले फूट पड़ी
कोयल की कूहु-कुहू बोली।
लहलहाती फसलों से हरी-भरी
पीली सरसों के फूलों से सजी
रंग बिरंगे मोहक फूलों से महकी
धरती और प्रकृति लग रही
जैसे अल्हड़ तितलियां शरमाई।
पीली सरसों के फूलों की चुनरी ओढ़े
फूलों से मोहक श्रृंगार किए
आम, महुए की मादकता लिए
तितलियों से अठखेलियां करती
अनुपम सौंदर्य बिखेर रही
पक्षियों का कलरव जैसे पायल की झंकार
मौसम की नई बयार जीव जंतु,
प्रकृति में नवजीवन संचार
सब में कर रही
बसंती रंग में रंगी धरती
सब में उमंग उल्लास भर रही
रंग-बिरंगे रंगों से
धरती के जीवन को
रंग रंगीला बना रही।
नव कलेवर ओढ़े प्रकृति
बासंती रंग में रंगाई।
🌾🌻🌾🌻🌾🌻🌾
अपराजिता कुमारी
राजकीय उत्क्रमित मध्य विद्यालय
जिगना जगन्नाथ
प्रखंड- हथुआ
जिला- गोपालगंज