Site icon पद्यपंकज

नन्हा पौधा

नन्हा पौधा

दादा जी ने बीज लगाया,
दादी ने पानी डलवाया।
चुन्नू-मुन्नू दौड़े आए,
साथ में खाद भी लेकर आए।

सात दिनों के बाद बीज ने,
नन्हीं-नन्हीं पलकें खोली।
बड़ी सलोनी है यह दुनियाँ,
छोटी सी कोंपल फिर बोली।

धीरे-धीरे उस कोंपल ने,
नन्हें पौधे का रूप लिया।
हुआ बड़ा जब सांसे छोड़ी,
तब ऑक्सीजन हमें दिया।

छाँव दिया,फल-फूल दिए,
लकड़ी से घर-द्वार बने।
बने शाख पर चिड़ियों के घर,
बैठ छाँव आराम मिले।

आओ शपथ उठाएं हम,
मिलकर पेड़ लगाए हम।
खुशहाल बने सब का जीवन,
धरती को स्वर्ग बनाए हम।

बिंदु अग्रवाल
शिक्षिका मध्य विद्यालय
गलगलिया किशनगंज बिहार

0 Likes
Spread the love
Exit mobile version