प्रार्थनाकोरोना से उद्धार
हे प्रभु! जगतपिता
इस प्रलय से उबार दे तू
फिर से जग को संवार दे तू।
मानवता पर छाई अंधियारी
नहीं रहा कोई भी पतवारी
नौका मझधार से किनार दे तू
फिर से जग को संवार दे तू
हे प्रभु! इस प्रलय से उबार दे तू।
जीवों से क्या भूल–चूक हुई
सांसो की डोर जो टूट हुई
ऐसी संजीवनी बयार दे तू
फिर से जग को संवार दे तू
हे प्रभु! इस प्रलय से उबार दे तू।
नहीं बचा कहीं कोई आस
सिर्फ और सिर्फ तेरा विश्वास
किसी रूप में करतार बन तू
फिर से जग को संवार दे तू
हे प्रभु! इस प्रलय से उबार दे तू।
मानव का है लक्ष्य बेकार
चारों तरफ मचा हाहाकार
पीयूष रस कलश संधार कर तू
फिर से जग को सवार दे तू
हे प्रभु! इस प्रलय से उबार दे तू।
हर तरफ फैली तेरी माया
मिट रही यूं कंचन काया
“कोरोना” राक्षस को ललकार दे तू
फिर से जग को संवार दे तू
हे प्रभु! इस प्रलय से उबार दे तू।
अब नहीं होता सहन
जल्दी से आयुध पहन
अभी धरती पर अवतार ले तू
फिर से जग को संवार दे तू
हे प्रभु! इस प्रलय से उबार दे तू।
✍️ शुकदेव पाठक
मध्य विद्यालय कर्मा बसंतपुर
कुटुंबा, औरंगाबाद (बिहार)