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प्रवेश उत्सव-देव कांत मिश्र ‘दिव्य’

प्रवेश उत्सव

प्रवेश उत्सव आ गया, बच्चे खुश हैं आज।
चहकी है किलकारियाँ, देख बिरंगी साज।।

मन में नई उमंग है, किसे कहूँ यह बात।
विद्यालय तो खुल गया, अभी हुआ है ज्ञात।।

हर्षित हैं माता पिता, प्रभातफेरी देख।
बच्चे होंगे स्कूल में, यही हृदय में लेख।।

प्रांगण पावन स्कूल को, देख मुदित सब बाल।
विनती प्रभु से है सदा, हो पावन यह साल।।

अक्षर अक्षर शब्द की, गूँजेगी आवाज़।
कविता के नित्य लय से, हम थिरकेंगे आज।।

फूलों की सुगंध सदा, लाती नई बहार।
बच्चे मन में कह रहे, बढ़े सभी से प्यार।।

नारों की हर गूँज से, खुश हैं आज समाज।
मात पिता उत्सुक हुए, देख सभी को आज।।

गुरुवर के नित ज्ञान से, पाएँ बच्चे ज्ञान।
उर को पावन कर सदा, करें सुधा रस पान।।

सारे बच्चे मुदित हैं, कर नारों को याद।
ज्ञान सुधा पर है टिकी, शिक्षा की बुनियाद।।

मास्क मुँह पर नित्य रखें, कर कोरोना दूर।
साबुन से कर साफ हो, ऐसा कहें जरूर।।

नारों का अभियान हो, सार्थक अरु अभिराम।
शिक्षा की नित जोत से, जीवन करें ललाम।।

देव कांत मिश्र ‘दिव्य’

भागलपुर, बिहार

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