आप ही, खास हैं- अरूण छंद गीत
२१२-२१२-२१२-२१२
हो सके, तो कभी, पास में आइए।
आप ही, खास हैं, मान भी जाइए।।
आपका, काम तो, रंग लाया अभी।
आपसे, जख्म जो, अंग पाया कभी।।
आपने, जो किया, याद में लाइए।
आप ही, खास हैं, मान भी जाइए।।०१।।
फाँसलें, हो नहीं, लाख हो दूरियाँ।
आस हो, खास हो, प्यार की बेड़ियांँ।।
आइए, गाइए, नेह भी पाइए।
आप ही, खास हैं, मान भी जाइए।।०२।।
छोड़िए, बात को, बीत जो है गया।
डोर से, बाँध दो, रीत को ले नया।।
प्रेम हो, क्षेम हो, नैन में छाइए।
आप ही, खास हैं, मान भी जाइए।।०३।।
गीतकार:- राम किशोर पाठक
प्रधान शिक्षक
प्राथमिक विद्यालय कालीगंज उत्तर टोला, बिहटा, पटना, बिहार।
संपर्क – 9835232978
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