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नहीं विश्वाश होता है -रामपाल पाल प्रसाद सिंह

गीत(विधाता छंद)
नहीं विश्वास होता है

सनातन धर्म अभ्यागत,धरा को लहलहाया है।
नहीं विश्वास होता है,कि मानव ने बनाया है।।

रहा पूरब सदा उज्ज्वल,सभी यह ग्रंथ कहते हैं।
कुटुंबी भाव शुभ स्वागत,हृदय के साथ रहते हैं।।
सनातन धर्म है ऐसा,जहाॅं हर सुख समाया है।
नहीं विश्वास होता है,कि मानव ने बनाया है।।

दिखी है सभ्यता अद्भुत,नदी नाले किनारों पर।
छठी मय्या सजी अनुपम,सनातन के विचारों पर।।
धरोहर स्वर्ग से सुंदर, विधाता ने सजाया है?।
नहीं विश्वास होता है,कि मानव ने बनाया है।।

तटों पर भीड़ भारी है,सदी कितने गए आए।
मगर पहचान पाई तब,छठी की गीत जब गाए।।
सुमन-कार्तिक महीने ने,धरा सुंदर रचाया है।
नहीं विश्वास होता है,कि मानव ने बनाया है।।

रामपाल प्रसाद सिंह ‘अनजान’
प्रभारी प्रधानाध्यापक मध्य विद्यालय दर्वेभदौर
प्रखंड पंडारक जिला पटना

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