रिश्ते
रिश्ते होते हैं अमूल्य धरोहर
समरस जीवन होते सुखकर
हृदय के हर भाव को समझे
बहते जैसे निर्झरिणी निर्झर
मधुर भावों से सजा उपवन
हर रिश्तों का मान रखें हम
ढाल बनें एक-दूजे का अपने
ऐसा अटूट हो नेह का बंधन
न हो कोई व्यर्थ तक़रार
चतुर्दिश हो अनुपम संसार
प्रेम, दया, विश्वास भाव संग
हो सद्भाव का अनंत विस्तार
कुटिल भाव से रहना बचकर
होते न कभी यह हितकर
आपसी सौहार्द्र और समन्वय
है ये अमूल्य निधि श्रेयस्कर
सच्चे रिश्तों को रखो संजोकर
कर्मभाव से एकनिष्ठ होकर
श्रद्धाभक्ति से कर्तव्य निभाओ
क्योंकि रिश्ते हैं अनमोल धरोहर
भावों का हो भावों से उन्मीलन
जीवन सुधा का हो आस्वादन
जगे परोपकार का भाव जग में
हो हर्षित चित संग स्नेह-स्पंदन
अर्चना गुप्ता
म. वि .कुआड़ी
अररिया, बिहार
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