ऋतुओं का राजा वसंत
सभी ऋतुओं का राजा वसंत
आया देने प्रकृति को नई उमंग
शीत ऋतु अब जाते-जाते
पतझड़ को दे जाएगी नव जीवन।
चहुं ओर फैलेगी वातावरण में
सुंदर – मधुर – पावन मुस्कान
पौधों पर नयी कोंपले खिलकर
लाएगी हर डाली में नई जान।
सरसों के अब पीले फूल खिलेंगे
आमों के डाली पर सजेंगी अब मंजर
गेहूं के सुंदर – सुंदर बाली खिलकर
धरती मां को कर देगी कंचन।
धरा चमकेगी स्वर्ण से भी सुंदर
चारों ओर से मां वसुंधरा
प्रकृति के गहनों से सजेंगी
कितना अद्भुत होगा वो मंजर।
जब डालों पर कूहू – कूहू करेगी कोयल
बहेगी मन्द – मन्द सुहावन बयार
धरती को देगी नित नए उपहार
छाएगा चारों ओर प्राकृतिक प्यार
जब तितलियां करेगी उपवन विहार।
ऋतुओं में सर्वश्रेष्ठ है वसंत
आया त्योहारों का मौसम
जड़ में भी आया चेतन, छाया
हरियाली, उल्लास और उमंग।
ऋतु वसंत करती धरती का
अनुपम दुल्हन सा श्रृंगार
देख धरा का अनुपम, अद्वितीय सौंदर्य
आनंदित हो उठता है व्याकुल मन।
मधु कुमारी
कटिहार