ऋतुराज की आली
अमुआ की डाली पर बैठी
मैना से यह कोयल बोली,
सात रंग आँखों में लेकर
लो आ गई ऋतुराज की आली।
देख उसे ले पवन हिलोरे
“कानन” में मडराते भँवरे,
कलियों संग वह करे ठिठोली
लो आ गई ऋतुराज की आली।
धानी चुनर “वसुधा” को भाई
कली-कुसुम ने ली अंगराई,
जैसे हो कोई नारी नवेली
लो आ गई ऋतुराज की आली।
गगन मगन हो गया है ऐसे
इंद्रधनुष “धरती” पर जैसे,
धरती की है छटा निराली
लो आ गई ऋतुराज की आली।
लता-पता सब झूम के गाये
सतरंगी है फूल बिछाये,
मंत्र-मुग्ध है चम्पा चमेली
लो आ गई ऋतुराज की आली।
स्वरचित
डॉ. अनुपमा श्रीवास्तवा
मुजफ्फरपुर बिहार
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