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ऋतुराज की आली-डॉ. अनुपमा श्रीवास्तवा

ऋतुराज की आली

अमुआ की डाली पर बैठी
मैना से यह कोयल बोली,
सात रंग आँखों में लेकर
लो आ गई ऋतुराज की आली।

देख उसे ले पवन हिलोरे
“कानन” में मडराते भँवरे, 
कलियों संग वह करे ठिठोली
लो आ गई ऋतुराज की आली।

धानी चुनर “वसुधा” को भाई
कली-कुसुम ने ली अंगराई,
जैसे हो कोई नारी नवेली
लो आ गई ऋतुराज की आली।

गगन मगन हो गया है ऐसे
इंद्रधनुष “धरती” पर जैसे,
धरती की है छटा निराली
लो आ गई ऋतुराज की आली।

लता-पता सब झूम के गाये
सतरंगी है फूल बिछाये,
मंत्र-मुग्ध है चम्पा चमेली
लो आ गई ऋतुराज की आली।

स्वरचित

डॉ. अनुपमा श्रीवास्तवा
मुजफ्फरपुर बिहार

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