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जीवित्पुत्रिका व्रत -रुचिका

जीवित्पुत्रिका व्रत

सन्तान के सुख की कामना कर
कर रही है माँ साधना
चौबीस घण्टे का निर्जला उपवास कर
कर रही है बस यही प्रार्थना।
दुःख तकलीफ कभी जीवन में न आए
मेरे सन्तान के
खुशियों से भरा हो जीवन बस यही है
प्रभु तुमसे प्रार्थना।

अश्विन की उमस भरी गर्मी
पेड़ -पौधे पशु पक्षी सभी बेहाल हैं।
जल की एक बूँद के बिना करती है व्रत
माँ की ममता की शक्ति का कमाल है।
बिना किसी भेदभाव के व्रत है करती
उस बच्चे के लिए भी जो नही पूछता
माँ क्या हाल है।

माँ वाकई अपने आप में मिसाल है,
यह उसकी प्रार्थनाओं का ही कमाल है,
जीवन की हर बाधा को पारकर
लक्ष्य तक पहुँचते किसी भी हाल है।
माँ के चेहरे का जो तेज है,
वह हमारे मन में भरता नव ऊर्जा है।
जीवन के हर पथ पर
वही आशीष है वही सम्बल है।

रुचिका
प्राथमिक विद्यालय कुरमौली

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