ॐ कृष्णाय नमः
विधा:-मनहरण
स्वयं भूखे रह कर,
पूत का भरतीं पेट,
शयन में सोचती हूँ,कहाँ से अन्न लाऊँ।
श्रम पथ पर जाती,
संतति को छोड़कर,
श्रम की चक्की में पीस,संध्या घर को जाऊँ।
घोसला बनाई एक,
पाई-पाई जोड़ कर,
बच्चों संग उसे प्रीत,के रंगों से सजाऊँ।
उम्र मेरी ढल रही,
रहो अब मेरे पास,
तपी थी तुम्हारे लिए,बच्चों को समझाऊँ।
एस.के.पूनम।
सेवानिवृत्त शिक्षक, फुलवारी शरीफ, पटना।
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