संगीत कहाँ नहीं है
संगीत कहाँ नहीं है।
ममता की लोरी में
बच्चों के किलकारी में
कोयल की कू-कू में
पपीहा की पीहू-पीहू में
गाड़ी के भोंपू में
बाजू के टेंटू में
संगीत कहाँ नहीं है।
घड़ी की टिक-टिक में
ममता की झिक-झिक में
वीणा की तान में
भंवरों की गान में
पायल की झंकार में
सवालों के तकरार में
समुद्र के लहरों में
खोये मन के पहरों में
संगीत कहाँ नहीं है।
आग की लपटों में
न्याय की झपटों में
पर्वत और पहाड़ों में
चमन की दीवारों में
खाखी के शानों में
खादी के भंडारों में
हवा के झोकों में
तलवार के नोकों में
संगीत कहाँ नहीं है।
रेल की छुक-छुक में
धड़कन की धक-धक में
दुल्हन की रूप में
नयनों की धूप में
दीन के अरमानों में
नसीब वालों के तहखानों में
हममें और आप में
हर मुस्कराहट और जज्बात में
संगीत कहाँ नहीं है।
गॉड के विश में
पापा के किश में
लव के शिफ्ट में
चाहत के स्क्रिप्ट में
प्रेयर के टाईम में
लाईफ के वलेंटाइन में
चाईल्ड के नींद में
ब्रीथ के इन्ड में
संगीत कहाँ नहीं है।
भोला प्रसाद शर्मा
प्रा. वि. गेहुमा (पूर्व)
पूर्णिया ( बिहार)