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संकल्प-अर्चना गुप्ता

संकल्प
एक दूजे संग संकल्प जगाकर
मन में इक विश्वास बनाकर
राहों की अनगिन बाधा हटाने
एक दृढ़ प्रतिज्ञा मन में बिठाकर
प्रेम-सद्भाव, दया-सौहार्द्र संग
इक दीपक नया जलाना होगा
मिलकर कदम बढ़ाना होगा।
भिन्न है भाषा, भिन्न है बोली
संग मनाते ईद और होली
अमन शांति का पाठ पढ़ाकर
हैं बने हुए सब देखो हमजोली
बैर भाव का हर भेद भुला कर
सुगंध मधुर अब बहाना होगा
मिलकर कदम बढ़ाना होगा।
बूँद बूँद से बनता सागर गंभीर
तिनका-तिनका बन जाता नीड़
एक-एक फूल से बनती माला
अकेले से तो बढ़ जाती पीड़
एकता में है शक्ति कितनी
जन जन को बतलाना होगा
मिलकर कदम बढ़ाना होगा।
सरहद पर देखो हिंद जवान
हौसलों संग बढ़ते सीना तान
चीर के हर बाधा-विपदा को
चमक उठते फिर रवि समान
दृढ़ संकल्प ले मन में अपने
परचम फिर लहराना होगा
मिलकर कदम बढ़ाना होगा।

अर्चना गुप्ता
म. वि . कुआड़ी
अररिया, बिहार

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