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सर्दी की शरारत-अपराजिता कुमारी

सर्दी की शरारत

💨कोहरे का लिहाफ ओढे
ठिठुराती
कपकपाती, कनकनाती सर्दी

🌤️सूरज को आगोश में छुपाती
धरती को ठंड की चादर ओढाती सर्दी

⛅दिन सिकुडाती, रात ठिठुराती
सर्द हवाओं के तीर चलाती सर्दी

🏔️पहाड़ों पर सफेद बर्फ से श्रृंगार करती
मैदानों में ओस की बूंदे बरसाती सर्दी

सबको कंबल, रजाई में दुबकाती
गरीबों की हाड़ कपकपाती सर्दी

🧣 स्वेटर, मफलर, दस्ताने से कहाँ रुकती
कोहरे के कहर से कनकनाती सर्दी

✨ उन्धते तारे, ठंडी रातो में चांद को ठिठुराती
ओस की बूंदों को सूरज की किरणों से मोतियों सी चमकाती सर्दी

🔥 रोज सुबह, सूरज का इंतजार करवाती
हर शाम, आग का अलाव जलवाती सर्दी

👧🏻जवानों, बच्चों को मजे का एहसास कराती
बुजुर्गों, बीमारों को सताती सर्दी

❄️ठंडी, चीजों से परहेज करवाती
गर्माहट, गर्म चीजों से नजदीकियां बढ़ाती सर्दी

☃️पंखे, कूलर, ए. सी.को छुट्टी दिलवाती
हीटर, गीजर, अलाव का उपयोग बढ़ाती सर्दी

☕चाय, काढ़ा, सूप, कॉफी खूब भाती
अमीरों के लिए मजा, गरीबों के लिए सजा दे जाती सर्दी

कोहरे का लिहाफ ओढे ठिठुराती कपकपाती कनकनाती सर्दी ❄⛄

अपराजिता कुमारी
रा. उ. म. वि. जिगना जग्रनाथ
हथुआ गोपालगंज

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