जब सब ओर अंधियारा छा जाए
जब झूठ का शोर बढ़ जाए,
जब लोग सत्य को मौन कर दें —
तब भीतर की ज्योति को जलाए रखना।
यह ज्योति बाहर की नहीं,
यह तो आत्मा का दीपक है,
जो आँधियों में भी मुस्कुराता है,
क्योंकि उसे विश्वास है — “सत्य अमर है।”
लोग ठुकराएँ, समय ठहर जाए,
पर सत्य का दीप बुझता नहीं,
वह बस प्रतीक्षा करता है —
कि एक दिन हर आँख उस उजाले को देखे।
सत्य की राह काँटों भरी है,
पर यही काँटे कमल बन जाते हैं,
जब मन में द्वेष नहीं,
केवल प्रकाश का संकल्प होता है।
तो चलो, जो भी हो,
अंधकार में भी दीप जलाओ,
क्योंकि झूठ की रात चाहे कितनी भी लम्बी हो,
सत्य की ज्योति सदा अनंत रहती है। 🌟
कार्तिक कुमार
Yoga(M.A)
म0वि0कटरमाला, गोरौल,वैशाली
7004318121
kartikyog.kumar@gmail.com
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