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प्यारा स्कूल – निवेदिता कुमारी

प्यारा स्कूल

मैं ये कहाँ आ गई हूँ,
ये सवाल मन में आया है,
माँ के साथ जब पहली बार,
अनोखे जगह पर पाई हूँ,
पढ़ ना पाई मैं नाम कुछ था,
बड़़े अक्षरों में लिखा हुआ,
सुनने में आया कि यह तो,
सरकारी विद्यालय प्यारा है,
एक ही रंग के कपडों में क्यूँ?
सारे बच्चे खेल रहे हैं,
छोटे से एक कमरे में,
जाने कुछ लोग क्या कर रहे हैं,
मुझे देख कर सारे लोग,
क्यूँ अचंभित से हो रहे हैं?
शायद सोच रहे हैं मन में,
ये कौन सयानी आयी है?
प्यारी आँखें भोली सुरत,
जाने कहाँ से पाई है,
माँ जैसी दिखने वाली कोई,
मुझे इशारे से पास बुलाती है,
जाऊँ या ना जाऊँ यह सवाल मन में आया है,
अरे अचानक गोद उठा कर,
उन्होंने मुझे फुसलाया है,
गोदी में उनके मत पूछो,
मुझे भी कितना मजा आया है,
सुन्दर खिलौनों से सभी,
बच्चे यहाँ तो खेल रहे हेैं,
एफएलएन किट है ये मुझे मैडम ने बतलाया है,
जो भी हो एफएलएन किट मुझे समझ नहीं आया है,
पर उसका प्यारा सा रंग मुझे बड़ा ही भाया है,
आ गई में तो वर्ग कक्ष में,
पहली में नामांकन पाया है,
रंगीन अक्षर फल और फूल,
दिवारों पर लटकाया है,
अनोखे अंदाज में वर्ग कक्ष को,
जाने किसने सजाया है,
दूर से माँ को जाता देख,
दौड़ मैं उनसे मिलने आईं हूँ,
सर को चूम माँ ने माथे को प्यार से सहलाया है,
प्यारी बिटिया रानी मेरी,
विद्यालय में पढने का सोभाय तुमने पाया है,
माता-पिता सम गुरु भी होते हैं,
यह भी मुझे बतलाया है,
नाम हमारा रौशन करना,
शिक्षा की ज्योत जलाना तुम,
हाँ, बड़ी हो कर एक महान इंसान कहलाना तुम
माँ की बातें सुन,
एक बात समझ मुझे आई है,
शिक्षा से ही इस दूनिया में,
सबने कामयाबी पाई है।
➡️निवेदिता कुमारी
नव प्राथमिक विद्यालय हरिजन टोला कलगीगंज, कहलगाँव, भागलपुर

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