सृष्टि रानी
सृष्टि रानी बहुत छोटी है,
पढ़ने को स्कूल जाती है।
सृष्टि रानी बड़ी सयानी,
बच्ची कम लगती है नानी।
बिना नाम लिखाए भी,
होमवर्क तैयार करती है।
तनिक नहीं वह शर्मिली है,
प्रभात में बनती भोली-भाली है।
हरदम चुप वो रहती है,
किसी से कुछ न कहती है।
खिलौने भी बनाती है,
सबके मन को बहलाती है।
कॉपी पर पेंटिंग करती है,
तराने सुर गुन-गुनाती है।
खुश रहना सिखाती है,
हँसती सबको हँसाती है।
सबको कहानी सुनाती है,
मस्त रहना भी सिखाती है।
अवसर नहीं गँवाती है,
समय से काम करें, बताती है।
घर की ये दुलारी है,
सुनाती दादी लोरी है।
सब लड़की से न्यारी है,
समाज की ये प्यारी है।
सृष्टि रानी छोटी है,
फिर भी स्कूल जाती है,
सृष्टि रानी बड़ी सयानी,
बच्ची कम लगती है नानी।
✍✍✍प्रकाश प्रभात
प्राo विo बाँसबाड़ी बायसी
पूर्णियाँ (बिहार)
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