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सुखमय हो संसार-आँचल शरण

सुखमय हो संसार

हिंद देश का यही विचार,
सुखमय हो सारा संसार!
सदा फैलाये सकारात्मक विचार
जहाँ दुःख का न हो कोई संचार।

यहाँ करें सब अच्छे व निर्मल व्यवहार,
जिससे मिटे अंधियारा और फैले चहुँ ओर ज्ञान का प्रकाश!
जिससे सुखमय हो सारा संसार।

भारत है ऋषि मुनियों व संतों का देश
जो सदा फैलाये ज्ञान साधना व योग का संदेश!
यहाँ देवता भी जन्म लेकर मिटाते है पाप और बढ़ाते है भारत माँ की शान।

भारत है *वीर भरत* की भूमि,
जिनके संग खेले निडर वनराज
वैसे ही निडर, साहसी बने भारत का हर इंसान!

शकुंतला और दुष्यंत के घर जन्म लेकर,
बढ़ा दिया भारत के गौरव का इतिहास
नदी, पर्वत, झरना भी करती है इसका गुणगान।

बहे ज्ञान की धारा आत्मनिर्भर हो हर इंसान,
न भेद-भाव हो न जात-पात का हो बखान!
हर तरफ हो सब का सम्मान।

सभी अपनी इक्षाओं का भड़े ऊँची उड़ान,
हर क्षेत्र में महिलाएँ व पुरुष साथ-साथ बनाये अपना स्थान।

महिलाओं की सुरक्षा हो,
हो न कहीं भी अत्याचार
जब होंगे सबके ऐसे विचार
हो जाएगा देश स्वयं ही खुशहाल।

आँचल शरण
प्रा. वि. टप्पूटोला
बायसी, पूर्णिया
बिहार।

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