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तस्वीरों से झाँकते सुनहरे पल-अपराजिता कुमारी

तस्वीरों से झाँकते सुनहरे पल

मुट्ठी की रेत सी
फिसलती जिंदगी से
उम्र के पल-पल
यादों में याद बनकर रह जाते,
सुनहरे पल

तस्वीरों से झाँकते सुनहरे पल
किस्से कहानियाँ बयाँ करते,
सुनहरे पल

एक अरसा बीत गया
उन यादों के पन्ने पलटे हुए
उम्र के जो थे भूले-बिसरे
बिखरे-सिमटे, हसीन पल

बचपन के नखरो,
शरारतों से भरे
जवानी के जोश से भरे,
कॉलेज के दिनों के बेफिक्रे,
अल्हड़ पल

दादा, दादी, माँ, पिता,
भाई, बहनों के
प्यार, दुलार, फिक्र, मनुहार
इंतजार के पल

पढ़ लिख कर नौकरी ढूंढने,
पहचान बनाने के,
बेचैनियों के पल

जिम्मेदारियों के बोझ से लदे
मुश्किलों से जूझते,
हर रिश्ते को निभाते,
जिम्मेदारियों के पल

कभी न लौटकर आने वाले
खट्टे-मीठे, उलझे-सुलझे,
बीते पल

घर-गृहस्थी में रम जाने के पल
बच्चों की जिद, रोने, खिलखिलाने के 
खुशनुमा पल

जिम्मेदारियों, सफलता,
असफलता से झुझलाने,
सीखने, समझने के
अनुभवी पल

मुट्ठी की रेत सी
फिसलती जिंदगी से,
उम्र के, पल-पल

             तस्वीरों से झाँकते, सुनहरे, पल….

अपराजिता कुमारी
उत्क्रमित उच्च माध्यमिक विद्यालय
जिगना जगन्नाथ
हथुआ गोपालगंज

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