पढ़ो लिखो या खेलो यहाँ पर ,
पर नाम करो इस जग में ।
व्यर्थ बैठे तुम क्या करोगे ,
जब कुछ कर न सकोगे मग में ।
जीना हो न केवल जीने के लिए ,
धरा पर कुछ करके भी बतलाओ ।
वैसा जीना भी क्या कोई जीना है ,
जिसमें तू करके न कुछ दिखलाओ ।
तेरे सपने हों नित ऐसे ,
जो तुझे सोने कभी न देंगे ।
अपना लक्ष्य जो चुन लिया हो ,
उसे खोने कभी न देंगे ।
बात बात में गुस्सा नहीं ,
मानवता की शान बताओ ।
अपने ऊपर कष्ट उठाकर ,
तुम जीवों के प्राण बचाओ ।
कथनी करनी एक करो तुम ,
इससे कभी न नाता तोड़ो ।
अपने दिल में प्रेम लिए तुम ,
इस जग से नाता जोड़ो ।
कभी नहीं इतराओ यहाँ पर ,
कभी न बदजुबानी बोलो ।
कभी नहीं कुपंथ चलो तुम ,
बोल में हरदम मिसरी घोलो ।
अमरनाथ त्रिवेदी
पूर्व प्रधानाध्यापक
उत्क्रमित उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बैंगरा
प्रखंड बंदरा , जिला मुजफ्फरपुर
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