माँ जब भजते- तीव्र/अश्वगति छंद
साधक याचक सा मन लेकर, धीरज धरते।
माँ उनके घर आँगन आकर, कौतुक करते।।
माँ पग को रखती जब आकर, पावन क्षण है।
दर्शन पाकर धन्य हुए सब, हर्षित मन है।।
सादर भक्त सभी कर चंदन, वंदन करते।
धन्य हुए इस बार सभी जन, संतन तरते।।
धूप जलाकर दीप दिखाकर, पुष्प कमल दे।
और उन्हें खुश होकर जीवन, मात विमल दे।।
लोभ धृणा मद मोह सभी जब, मानव तजते।
निर्मल सुंदर सा मन लेकर, माँ जब भजते।।
जीवन का हर कष्ट मिटाकर, माँ सुख भरती।
भक्त करे भव पार सदा जब, माँ वर वरती।।
रचयिता:- राम किशोर पाठक
प्रधान शिक्षक
प्राथमिक विद्यालय कालीगंज उत्तर टोला, बिहटा, पटना, बिहार।
संपर्क – 9835232978
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