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टीओबी हमारे सृजनहार-भवानंद सिंह

टीओबी हमारे सृजनहार 

नील गगन में लाखों तारे
टीमटिमाते रहते हैं सारे, 
फिर भी अंधेरा मिटा न पाते
एक अकेला चंदा मामा
शीतल प्रकाश चहुँ ओर फैलाते,
उसी तरह से जगमग करता
टीचर्स आफ बिहार हमारा।

विद्वानों की फौज है इसमें
विदुषी बहनें भी बहुत हैं इसमें,
सबको खास पहचान मिली है
ये हैं सृजनहार हमारे
टीचर्स आफ बिहार हमारे ।

गुमनाम सा चेहरा था सब
सबको टीओबी ने निखारा है,
नवोदित कवि और लेखक इसमें
पा रहे सम्मान अपनी लेखनी से,
टीचर्स आफ बिहार की कृति
फैला हुआ चहुँ ओर है,
जैसे चमके सूरज चंदा
वैसे चमके टीओबी हमेशा ।

इतने कम समय में इसने
बनाया अनेक कीर्तिमान है,
आशा और विश्वास है हमें
आगे बढ़ते जाएँगे हरदम,
नेक कार्य करते रहना ही
टीओबी का उत्तम संस्कार है ।

दो वर्ष पूरे हुए इस मंच का
लगता बहुत पुराना है,
नमन करूँ मैं आज इस मंच को
जिसने सबको निखारा है.
मिला है ऐसा मंच सभी को
जिसके हमसब आभारी हैं।

भवानंद सिंह
अररिया, बिहार

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