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उम्मीद-भवानंद सिंह

उम्मीद

आशा और उम्मीद से भरा
आया है नववर्ष यहाँ,
पुष्पित-पल्लवित हो सबका जीवन
नववर्ष दो हजार इक्कीस में। 

नये साल का नया सवेरा
शुभमंगल बन आया है,
उषाकाल का नव किरण
धरा पर प्रकाश फैलाया है। 

छूटे रिश्ते और टूटे सपनों पर
समय, अपना मरहम लगाएगा,
अपना और अपनों की समृद्धि
आशा है वापस आएगा। 

है उम्मीद सभी को धरा पर
नववर्ष दो हजार इक्कीस से,
हो स्वस्थ और समृद्ध जीवन
आए न मन में निराशा कभी। 

सुन्दर सफल हो सबका जीवन
हो सपना सबका पूरा,
खुशहाल रहे हर जीव यहाँ
महके सबका घर आँगन। 

आशा और उम्मीद है हमें
न आएगा बाधाएँ कोई,
सद्ज्ञान की होगी प्राप्ति
नववर्ष दो हजार इक्कीस में। 

भवानंद सिंह
अररिया, बिहार

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