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उपवन नवरात्र का- सार छंद- रामकिशोर पाठक

उपवन नवरात्र का- सार छंद

आज हमारा पुष्पित उपवन, देख चकित संसार।
रंग बिरंगे फूलों से यह, शोभित है घर बार।।
प्रथम दिवस से नवरात्र जहाँ, लगता माँ दरबार।
बारी-बारी सुनती रहती, माता भक्त पुकार।।

चारों ओर सुनहरा ऐसा, नाचे मन में मोर।
नहीं निशा भयभीत करे अब, लगता जैसे भोर।।
गूँज रहा बस जयकारा है, जय माता हर ओर।
धरा सजी है ऐसे मानो, बैठा हो चितचोर।।

धूप दीप अक्षत चंदन से, भरा हुआ है थाल।
नेह समर्पित है नर-नारी, करते सभी कमाल।।
भक्ति भाव श्रद्धा सब लेकर, पहुँच रहे पंडाल।
पूजन अर्चन माँ का करके, होते सभी निहाल।।

नौ रूपों में दुर्गा माता, देती है विश्वास।
दुष्टों का संहार करेगी, रहकर भक्तन पास।।
सद कर्मों से सिद्धि साधना, होता सदा उजास।
“पाठक” को वर देकर बोली, तुम हो जाओ खास।।

रचयिता:- राम किशोर पाठक
प्रधान शिक्षक
प्राथमिक विद्यालय कालीगंज उत्तर टोला, बिहटा, पटना, बिहार।
संपर्क – 9835232978

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