Site icon पद्यपंकज

वीर-अवनीश कुमार

वीर

वीर तू आगे बढ़
शत्रु पर वार कर

शत्रु छद्मरूप धरे बहुतेरे
आलस्य, निद्रा, अहम, वहम
छल, द्वेष, पाखंड, झूठ
क्रोध, ईर्ष्या, अत्याचार नाम है तेरे

इनको तू खुद से उजाड़ दे
शोषणकारी को उखाड़ दे

वीर तू आगे बढ़
अभिमान का अंत कर

वीर तू तेजस बन
वीर तू ओजस बन
वीर तू सरल बन
वीर तू नीरज बन
वीर तू धीरज धर

वीर तू आगे बढ़
चुनौतियों को स्वीकार कर

वीर तू सामर्थ्य बन
वीर तू ओजस्व बन
वीर तू लड़ जा
वीर तू अड़ जा
वीर तू जुट जा
वीर तू रुक नहीं
वीर तू झुक नहीं 
वीर तू चूक नहीं

वीर तू आगे बढ़
बाधाओं को पार कर

वीर तू नमन कर
वीर तू धरन धर
वीर तू रज धर
वीर तू संवर नहीं
वीर तू डर नहीं 
वीर तू बिखर नहीं

वीर तू आगे बढ़
समाज का कल्याण कर

वीर तू धीर बन
वीर तू सरस बन
वीर तू सरल बन
वीर तू सौम्य बन

वीर तू कर्ण बन
मित्र का विश्वास बन
वीर तू बुद्ध बन
धम्म का प्रचार कर
वीर तू महावीर बन
अहिंसा का आत्मसात कर
वीर तू नानक बन
दरिद्र का कल्याण कर

वीर तू आगे बढ़
मातृभूमि को प्रणाम कर

वीर तू भीम बन
दुःशासन का वध कर
वीर तू अर्जुन बन
अन्याय का संहार कर
वीर तो एकलव्य बन
छात्र का उदाहरण बन
वीर तू कलाम बन
आज का विज्ञान बन
वीर तो गाँधी बन
विश्व का शांति बन

वीर तू आगे बढ़
आतंक का सर्वनाश कर
विश्व का कल्याण कर।।

शब्द रचना एवं स्वर :-
अवनीश कुमार
प्रधानाध्यापक
उत्क्रमित मध्य विद्यालय अजगरवा पूरब
प्रखंड:- पकड़ीदयाल
जिला :- पूर्वी चंपारण(मोतिहारी)

0 Likes
Spread the love
Exit mobile version