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विद्यालय का पहला दिन-बीनू मिश्रा

Binu

 विद्यालय का पहला दिन

पथ निहारते आंखें थक गई मेरी

मेरा लाल आज पहली बार

स्वयं गया है पाठशाला पढ़ने को

एक सी वेशभूषा में

बच्चों के झुंड को देख

उत्सुकता विह्वलता बढ़ गई मेरी

शायद इसी में मेरा लाल छुपा हो

सहसा वह आया दौड़कर

मुझसे लिपट गया

पर उसका सुर्ख चेहरा

तेज धूप और धूल से

हुलिया दर्शाता है मानो

अनगिनत बार गिरा होगा

गिरकर संभला और संभाला होगा

पीठ पर भारी बस्ते का बोझ

उसे देख गोद में भरकर

आंखें नम हो जाती है मेरी

उन आंसुओं से जिनमें मेरी 

अटूट लाड प्यार और वात्सल्य

लबालब भरा है ।।

बीनू मिश्रा 

भागलपुर

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