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विनायक से विनय- गीत
हे गणनायक गौरी नंदन, होकर व्यथित पुकारे।
हे विघ्नेश्वर! कृपा करो अब, हर लो क्लेश हमारे।।
जीवन सुखमय चाह रहे हैं, लेकिन उलझा जाए।
करूँ कार्य को शुचिता से पर, बाधा भी नित आए।।
क्षमता होता ह्रास यहाँ है, दुनिया हमें नकारे।
हे विघ्नेश्वर! कृपा करो अब, हर लो क्लेश हमारे।।०१।।
रोग ग्रसित तन हुआ हमारा, मन में चिंता भारी।
पास नहीं है आता कोई, कैसी यह बीमारी।।
औरों की हम बात करें क्या, छोड़ें अपने सारे।
हे विघ्नेश्वर! कृपा करो अब, हर लो क्लेश हमारे।।०२।।
मन रहता है बोझिल पल-पल, शंका किया बसेरा।
प्राण पखेरू उड़ जाएँगे, मिले न दर्शन तेरा।।
मूष सवारी चढ़कर आओ, गणपति मेरे द्वारे।
हे विघ्नेश्वर! कृपा करो अब, हर लो क्लेश हमारे।।०३।।
कष्टों के सागर में गिरकर, मैं मँझधार फँसा हूँ।
लगता मुझको बीच हलाहल, जैसे आज बसा हूँ।।
प्रथम पूज्य सुत शंकर सुन लो, तेरी राह निहारे।
हे विघ्नेश्वर! कृपा करो अब, हर लो क्लेश हमारे।।०४।।
दया सिन्धु अब कृपा करो तुम, महिमा तेरी न्यारी।
सबकी तूने मदद किया है, अबकी मेरी बारी।।
एकदंत लम्बोदर भजता, भव से करो किनारे।
हे विघ्नेश्वर! कृपा करो अब, हर लो क्लेश हमारे।।०५।।
असुरों से रक्षा करने को, गणपति तुम अवतारी।
रिद्धि सिद्धि को देने वाले, तुम हो मंगल कारी।।
वक्रतुंड महाकाय सुंदर, भजता साँझ सकारे।
हे विघ्नेश्वर! कृपा करो अब, हर लो क्लेश हमारे।।०६।।
कपित्थ जंबू फल का भक्षण, मोदक दूर्वा प्यारी।
मंगल कर्ता विघ्न विनाशक, कहती दुनिया सारी।।
“पाठक” की विनती है इतनी, हमको अभी उबारे।
हे विघ्नेश्वर! कृपा करो अब, हर लो क्लेश हमारे।।०७।।
गीतकार:- राम किशोर पाठक
प्रधान शिक्षक
प्राथमिक विद्यालय कालीगंज उत्तर टोला, बिहटा, पटना, बिहार।
संपर्क – 9835232978

