योग दिवस
जुड़ने को योग कहते,
तन-मन जुड़े ब्रम्ह से।
स्वस्थ तन हो स्वस्थ मन हो,
प्रकृति के प्रण से।
यह योग है विश्वास सबका,
योग जीवन का,
है यह अमृत प्राण रस,
नित मान जीवन का।
प्राणायाम अद्भुत प्राण वायु के,
नियंत्रण का।
कर लिया स्वयं-प्रभा के,
आत्मशोधन का।
ध्यान आसान और विग्रह,
सिक्त प्रतिपल का।
मिट गया विकार तन मन
और जीवन का।
योग भारत की विधा है,
विश्व के बस का।
योग दिवस के संग समर्पित,
है नमन सबका।
डॉ स्नेहलता दिवेदी ‘आर्या’
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