आओ कर लें योग – सरसी छंद गीत
जीवन है अनमोल मनुज का, मिले विविध संयोग।
रहना है नीरोग हमें तो, आओ कर लें योग ।।
गीता में श्रीकृष्ण कहें हैं, कर्म, भक्ति सह ज्ञान।
सुख के तीनों मूल यही है, करता मोक्ष प्रदान।।
गीता की मिली अमृतवाणी, खुदपर करें प्रयोग।
रहना है नीरोग हमें तो, आओ कर लें योग।।०१।।
प्रमाण दे रही शिवसंहिता, गोरक्षशतक चार।
मंत्र, राज, हठ, लय सदा यही, बदल सका व्यवहार।।
राजयोग सब मान रहे हैं, दूर करे हर रोग।
रहना है नीरोग हमें तो, आओ कर लें योग ।।०२।।
दिए पतंजलि योग ज्ञान है, आठ बताकर रूप।
राजयोग के सूत्र सभी हैं, लगते बड़े अनूप।।
व्यापक जन-जन में हुआ यही, जिससे हो नीरोग।
रहना है नीरोग हमें तो, आओ कर लें योग ।।०३।।
प्राणायाम, नियम, आसन है, समाधि, प्रत्याहार।
ध्यान, धारणा, यम आठों से, करिए जीवन पार।।
औपचारिक योग दर्शन को, आज समझते लोग।
रहना है नीरोग हमें तो, आओ कर लें योग ।।०४।।
कायिक, वाचिक, मनसा सबका, करें सरल संचार।
आत्मा, परमात्मा दोनों का, बने मिलन आधार।।
पाठक तन-मन सदा साधते, जीवन सुख को भोग।
रहना है नीरोग हमें तो, आओ कर लें योग ।।०५।।
योग दिवस हम मना रहे हैं, मिली अलग पहचान।
एक मंच पर विश्व आज है, देते हम हैं ज्ञान।
भारत की अगुआई में है, बना एक उद्योग।
रहना है नीरोग हमें तो, आओ कर लें योग।।०६।।
तन-मन का दोष मिटाना है, बहुत जरूरी काज।
बात-बात पर होते रहते, यहाँ सभी नाराज।।
पाठक विनती करते रहते, रखिए दूर वियोग।
रहना है नीरोग हमें तो, आओ कर लें योग।।०७।।
रचयिता:- राम किशोर पाठक
प्राथमिक विद्यालय भेड़हरिया इंगलिश, पालीगंज, पटना, बिहार।
संपर्क – 9835232978

