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आओ गांधीगिरी अपनाएं – विवेक कुमार

Vivek

आज 2 अक्तूबर का शुभ दिन आया,
गांधी जी की है याद कराया,
सत्य अहिंसा जिनको भाया,
जिसने अंग्रेजो के छक्के छुड़ाया,
स्वतंत्रता तो सबको भाएं
आओ गांधीगिरी अपनाएं ।

तन पे धोती हाथों में लाठी,
देश का जन-जन उनका सहपाठी,
न लाठी न बंदूक, फिर भी काम दुरुस्त,
गोरे के सारे षडयंत्र उनके सामने सुस्त,
स्वतंत्रता तो सबको भाएं,
आओ गांधीगिरी अपनाएं।

बुराई जिसे छू न सका,
राह उनकी न रोक सका,
कर्म पथ पर चलते सही,
संघर्षों से पीछे हटे नहीं,
स्वतंत्रता तो सबको भाएं,
आओ गांधीगिरी अपनाएं।

अहिंसा के बनकर पुजारी,
अंग्रेजों के भागने की आई बारी,
सोने की चिड़ियां हुई आजाद,
ये आजादी रहेगा सबको याद,
स्वतंत्रता तो सबको भाएं,
आओ गांधीगिरी अपनाएं।

चट्टानों सा अविचल, करते काम शुरू,
देश को राह दिखाये जैसे गुरु,
उनके सिद्धांतों ने दिलाया मान,
राष्ट्र को मिला खोया सम्मान,
स्वतंत्रता तो सबको भाएं,
आओ गांधीगिरी अपनाएं।

बापू ने जो सपना था देखा,
सत्य अहिंसा जिनका सखा,
बापू की धार न हो बेकार,
आओ मिलकर इसे करें साकार,
स्वतंत्रता तो सबको भाएं,
आओ गांधीगिरी अपनाएं ।

गांधी एक नाम नहीं विचार है,
इन्हें अपनाने का चलो करते प्रयास है,
जो हो न सके गोली बंदूक से,
वो होगा सत्य अहिंसा के जोर से,
स्वतंत्रता तो सबको भाएं,
आओ गांधीगिरी अपनाएं।।

विवेक कुमार
(स्व रचित एवं मौलिक)
उत्क्रमित मध्य विद्यालय, गवसरा मुशहर
मड़वन, मुजफ्फरपुर ( बिहार)

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