Site icon पद्यपंकज

आओ सब मिल दीप जलाएँ- संजीव प्रियदर्शी

 

आओ सब मिल दीप जलाएँ
नाचें- गाएँ खुशी मनाएँ।
मन के भीतर का अँधियारा,
भव भय भ्रम सब दूर भगाएँ।।
आओ सब मिल दीप जलाएँ।

झिलमिल-झिलमिल दीपक भाते
गेह-द्वार आँगन सज जाते।
महालक्ष्मी को घर बुलाने,
रंक- धनी सब मंगल गाते।।
इस उत्सव की शुभ बेला में,
हम उजियारा से नहलाएँ।
आओ सब मिल दीप जलाएँ।

हर तरफ उल्लास है दिखता
कहीं पटाखें, बम है फटता।
जहाँ अकिंचन, घोर तिमिर था
दीन कुटिज दीपों से सजता।।
तरह-तरह के ज्योतिपुंज से,
जन-जन में खुशियाँ छा जाएँ
आओ सब मिल दीप जलाएँ।

जो हैं सोए, उसे जगाएँ
कर्म पथ बढ़ मंजिल पाएँ।
अंधकार से जुझे यह जीवन
इस दिन ऐसा प्रण दुहराएँ।।
विश्व शांति के नव विहान में,
बुझती लौ फिर से धधकाएँ।।
आओ सब मिल दीप जलाएँ।

संजीव प्रियदर्शी
फिलिप उच्च माध्यमिक
बरियारपुर, मुंगेर, बिहार

0 Likes
Spread the love
Exit mobile version