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इंद्रधनुष – देवकांत मिश्र ‘दिव्य’

नभ में इंद्रधनुष को देखो,

कितना प्यारा लगता है।

मन करता है इसको छू लें,

सुंदर न्यारा लगता है।।

प्रथम रंग बैंगनी कहाता,

रंग दूसरा है नीला।

मध्य आसमानी रक्ताभा,

हरे संग चमके पीला।।

नारंगी की छटा निराली,

मन को नित हर लेती है।

पुलकित होते सारे बच्चे,

अनुपम सुख यह देती है।।

रिमझिम वर्षा जब थम जाती

रंग धनुष मोहक लगते।

बच्चे हँसते उछल-उछल कर,

नित्य नाचते खुश रहते।।

देव कांत मिश्र ‘दिव्य’ मध्य विद्यालय धवलपुरा,

सुलतानगंज, भागलपुर, बिहार

 

 

 

 

 

 

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