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उठो बेटियों, अब तुम जागो- मधु कुमारी

Madhu

उठो बेटियों, अब तुम जागो

ना बेचारी, ना लाचार बनो।

मचाओ हाहाकार, करो घोर चीत्कार,

दुराचारियों का अब स्वयं संहार करो।

बनो दुर्गा, बनो चंडी और

काली का रौद्र अवतार धरो।

छोड़ो श्रृंगार, उठाओ शस्त्र

वहसी दरिंदों का तुम रक्तपान करो।

ना अब सीता, ना द्रौपदी बन

तुम पद्मिनी-सी साहसी महान बनो।

सीता बन तुम, ना दो नित अग्निपरीक्षा

ना घुट-घुट कर तुम, नित विषपान करो।

ना कोमल बनो और ना चाँद, पर

सूरज-सी धधकती ज्वाला कुंड बनो।

उठाओ कटार और दोहराओ इतिहास

झांसी की रानी- सा हुंकार भरो।

ना कृष्ण पर रहो निर्भर

कि कृष्ण शीघ्र अब आएँगे

ना कमज़ोर, ना लाचार बनो।

स्वयं होकर सशक्त, ना हो निर्वस्त्र

जिस्म के भूखे राक्षसों को तू कर त्रस्त।

कि “दुर्योधन-दु:शासन” का तुम स्वयं संहार करो।

उठो बेटियों अब तुम जागो

ना बेचारी, ना लाचार बनो।

मधु कुमारी

उत्क्रमित मध्य विद्यालय

भतौरिया, कटिहार

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