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कब तक हार से डरते रहोगे – गुड़िया कुमारी

 

कब तक यूँ ऐसे बैठे रहोगे,

कब तक हार से डरते रहोगे।

कदम आगे बढ़ाना होगा,

अगर लक्ष्य को पाना होगा।

हार-जीत का खेल भी होगा,

साहस तुम्हें दिखलाना होगा।।

कब तक झूठे सपने देखते रहोगे,

कब तक यूँ ऐसे बैठे रहोगे।।

जीत की प्यास जगानी होगी,

हार की पीड़ा भुलानी हाेगी।

है करना हासिल मंजिल तो,

हिम्मत तुम्हें दिखानी होगी।।

कब तक हाथ पे हाथ मलते रहोगे,

कब तक यूँ ऐसे बैठे रहोगे।।

आगे तुझको बढ़ना होगा,

कुछ-न- कुछ तो करना होगा।

श्रम से जीवन सजाना होगा,

दुनिया को दिखलाना होगा।।

फिर तुम भी नया, इतिहास रचते रहोगे,

कब तक यूँ ऐसे बैठे रहोगे।।

गुड़िया कुमारी ‘शिक्षिका’
मध्य विद्यालय बाँक, जमालपुर, मुंगेर

 

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