जिस पथ में चला सदा सत्य है यह कर्म-पथ
उतार तो कहीं चढ़ाव का है ये जीवन सु-पथ।
जीवन के हर मोड़ पर जिनको भी देखा सदा
वो पूरा भी न कर सके इसका कुछ मोल अदा।
वो कहते थे, सदा चल चलूँगा इस मार्ग-पथ
पर भूल गए क्यूँ जीवन तो है ही अग्नि-पथ।
तोहमत दे दी तो क्या मैं जीवन छोड़ जाऊँ
मोहलत है जीवन सफल में कुछ जोड़ पाऊँ।
पूरा सफर है अभी इस ज़िन्दगी का अधूरा
इसे करना ही होगा अब हर हाल में पूरा।
एक तेरा साथ मिले तो जीवन है पूर्ण-पथ
बाकी जीवन जीने का नाम ही है धर्म-पथ।
कहीं कंटक भी मार्ग में बन जाता है बाधक
कठिनाइयों में भी मार्ग बन जाता है साधक।
साथ-साथ चलें, हाथ बाँट चलें इस कर्म-पथ
बाकी जीवन कर्म को पूरा करेगा यह सु-पथ।
जिस पथ में चला सदा सत्य है ये कर्म-पथ
उतार तो कहीं चढ़ाव का है ये जीवन सु-पथ।
सुरेश कुमार गौरव ‘शिक्षक’
पटना, बिहार
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