रश्मियां निकल आईं,पूरब में लोहित छाईं,
कृषक तराने गाएं,अभी प्रातःकाल है।
निकला विस्तर छोड़,देखा खेत-खलिहान,
किसानों का मुखड़ा भी,देख खुशहाल है।
धूप से तपती धरा,धूल से गगन भरा,
स्वेद से सराबोर है,यही अहवाल है।
बरसा बादल खूब,फसलें बर्बाद हुआ,
सकून उड़ता गया,मौसम दज्जाल है।
एस.के.पूनम(स.शि.)प्रा.वि.बेलदारी टोला
फुलवारी शरीफ,पटना।
0 Likes