Site icon पद्यपंकज

कुंडलिया – देव कांत मिश्र ‘दिव्य’

Devkant

आया सावन झूमकर, हर्षित हुए किसान।
‌हरी-भरी यह भूमि हो, यही हमारी आन।।
यही हमारी आन, सदा गुण ऊर्जा भरिए।
रिमझिम सौम्य फुहार, प्रीति-सा जीवन करिए।।
मधुरिम भावन गीत, मुदित मन सुखमय भाया।
उम्मीदों का फूल, खिलाने सावन आया।।०१

पावन सावन मास में, करिए शिव का ध्यान।
इनकी महिमा है बड़ी, सबके कृपा-निधान।।
सबके कृपा-निधान, नाम नित मन से जपिए।
त्रिशिख सुशोभित हस्त, कीर्ति शुचि गुण में पगिए।
सौम्य दिव्य शितिकंठ, रूप अनुपम मनभावन।
नीलकंठ गुणगान, गाइए पावन सावन।।०२

देव कांत मिश्र ‘दिव्य’ मध्य विद्यालय धवलपुरा, सुलतानगंज, भागलपुर, बिहार

0 Likes
Spread the love
WhatsappTelegramFacebookTwitterInstagramLinkedin
Exit mobile version