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कृष्ण गीता का ज्ञान है – नरेश कुमार निराला

Naresh

कृष्ण गीता का सार है,
कृष्ण कंस का संहार है।
कृष्ण प्रचंड भद्र काल है,
कृष्ण देवकी-यशोदा के लाल है।।

कृष्ण जीवन का सार है,
कृष्ण मधुरता की रसधार है।
कृष्ण गोपियों के गिरधारी है,
कृष्ण को राधा प्यारी है।।

कृष्ण पुतना को तड़पाया था,
कृष्ण, शिशुपाल मार गिराया था।
कृष्ण त्रेतायुग के राम है,
कृष्ण द्वापर युग धनश्याम है।।

कृष्ण मोर मुकुट गिरधारी है,
कृष्ण जग के पालन हारी है।
कृष्ण अगोचर अविनाशी है,
कृष्ण-कन्हैया मिथुन राशि है।।

कृष्ण हर जीवों की साँस है,
कृष्ण अधर्म का नाश है।
कृष्ण गीता का ज्ञान है,
कृष्ण भागवतपुराण है।।

कृष्ण भक्ति का गागर है,
कृष्ण भवसागर है।
कृष्ण नटखट नंद किशोर है,
कृष्ण माखनचोर है।।

कृष्ण बड़ा निराला है,
कृष्ण नंद का राज दुलारा है।
कृष्ण विष्णु अवतार है,
कृष्ण मिलन का इंतजार है।।

कृष्ण वंशी की तान है,
कृष्ण वेद-पुराण है।
कृष्ण यमुना के नीर है,
कृष्ण सिन्धु के क्षीर है।

कृष्ण की महिमा अपरम्पार,
कृष्ण जगत का पालनहार।
कृष्ण मथुरा को स्वर्ग बनाया,
कृष्ण पांडवों को जितवाया।।

कृष्ण गीता का उपदेश है,
कृष्ण शांति का संदेश है।
कृष्ण, सुदामा का मीत है,
कृष्ण वृन्दावन का गीत है।।

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