गुरुवर वाले प्रेम से – अवतार छंद गीतिका
झूम रहे सब संग में, कुछ आज कीजिए।
गुरुवर वाले प्रेम से, भर हृदय लीजिए।।
बच्चों का भी मन लगे, आ सके रोज हीं।
विद्यालय के रूप को, वह रंग दीजिए।।
कहते हैं अबोध सभी, बोध हम पा सकें।
ज्ञानवान सारे बनें, थोड़ा पसीजिए।।
करना है विकास अगर, नित हाथ थाम लें।
बुद्धि ज्ञान हित आपसी, दोष रस पीजिए।।
मंजिल मिल जाए सहज, राह आसान हो।
भरना है अरमान को, वह शान से जिए।।
अभिभावक से मिल सदा, खबर लेते रहें।
बच्चे विद्यालय अभी, आज से भेजिए।।
अनपढ़ होना कलंक यही, बात समझा सकें।
पढ़ें बिना जीवन कभी, हो नहीं ताजिए।।
पाठ पढ़ाए प्रेम का, समझ इंसान का।
शिक्षा का प्रसार करें, सुर ताल साजिए।।
रिश्ता हो परिवार सा, स्वच्छ पहचान हो।
हाव भाव भाषा लिए, चित में विराजिए।।
सार्थक प्रयास आपका, भरता उमंग है।
होगा अब विकास यहाँ, मन मुग्ध गाजिए।।
रचयिता:- राम किशोर पाठक
प्राथमिक विद्यालय भेड़हरिया इंगलिश, पालीगंज, पटना, बिहार।
संपर्क – 9835232978

