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गुरु पूर्णिमा – नीतू रानी

Nitu

गुरु पूर्णिमा पर गुरु को है
शत् -शत् बार प्रणाम,
जबतक सूरज चाँद रहेगा
अमर रहेगा गुरु का नाम।

गुरु बिन ज्ञान न मिले
गुरु बिन मिटे न अंधकार,
गुरु बिन चौरासी लाख योनियों में
भटकै बारंबार।

पुस्तक रखा स्कूल में
कैसे पढ़े अपने आप,
जबतक गुरु न पढाएँगे
तबतक मिटे न अज्ञान का शाप।

गुरु ब्रह्मा गुरु विष्णु हैं
गुरु हैं देव महेश,
तैंतीस करोड़ देव में
गुरु हीं सबसे श्रेष्ठ।

सभी देवगण गुरु किए
जो न किए गुरु वो रोय,
जो गुरु किए उनको मोक्ष मिला
बिन गुरु वाले नरक में रोय।

गुरु और शिष्य की परंपरा
सदियों से चली आय,
जैसे Q के पास U
वैसे गुरु में है शिष्य समाय।

गुरु नाम है ज्ञान का
शिष्य सीख ले सोई,
ज्ञान मरजाद जाने बिना
गुरु और शिष्य न कोय।

गुरु की महिमा की बखान
कर सके न कोय ,
जो गुरु महिमा को जान गयो
वे हीं गुरु होय।

प्रथम गुरु हैं माता -पिता
रज -विरज के सोई दाता,
दोसर गुरु हैं मन की धाई
गिरह बास की बंदी छोड़ाई।

तेसर गुरु हैं धरिया नामा
लेले नाम पुकारे गामा,
चौथा गुरु जो शिक्षा दीन्हा
रज व्यवहार तबे सब चीन्हा।

पाँचम गुरु जो वैश्नव कीन्हा
राम नाम का सुमिरन दीन्हा,
छठा गुरु जो भरम गढ़ तोरा
दुबिधा मेटी एक से जोड़ा।

कबीर सात गुरु संसार में
सेवक सब संसार,
सतगुरु सोई जानिए
जो भव जल उतारै पार।


नीतू रानी पूर्णियाँ बिहार।

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