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चलो एक दीप जलाएं – विवेक कुमार

Vivek

चलो आज करें शुरुआत,
निराशाओं को देकर मात,
मन के मैल को हटाएं,
तम को मन से दूर भगाएं,
जीवन में रौशनी फैलाएं,
चलो एक दीप जलाएं।।

दे बेसहारे को सहारा,
भूखे को देकर निवाला,
भटके को दिखाकर राह,
सबके मंगल की कर चाह,
मन से ईर्ष्या द्वेष मिटाएं,
चलो एक दीप जलाएं।।

सब पर स्नेह लुटाकर,
मन को मंदिर बनाकर,
भेद-भाव मिटाकर,
स्वार्थ मोह सब त्यागकर,
परहित पर जीवन अर्पित कर,
चलो एक दीप जलाएं।।

आओ हमसब मिलकर,
एक नई उमंग जगाकर,
ऐसा वातावरण बनाएं,
नव ज्योति का प्रकाश फैलाएं,
चारों ओर खुशहाली लाएं,
चलो एक दीप जलाएं।।

दीप से दीप जलाकर,
हाथ से हाथ मिलाकर,
चाहूं ओर सुख शांति लाएं,
न रहे कोई भूखा बेसहारा,
ऐसी निर्मल धारा बहाएं,
चलो एक दीप जलाएं।।

विवेक कुमार
(स्व रचित एवं मौलिक)
उत्क्रमित मध्य विद्यालय,गवसरा मुशहर
मड़वन, मुजफ्फरपुर

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