जगत में गुरु से न कोई महान
ज्ञान है मिलता गुरु कृपा से ,
मिलता हर भय से त्राण ।
वंदे तू गुरु की कीमत जान ।
जगत में गुरु से न कोई महान ।।
गुरु ने पापों से हमें बचाया ,
गुरु ने मोहमाया से त्राण दिलाया ।
वंदे तू गुरु की कीमत जान ।
जगत में गुरु से न कोई महान ।।
कोई न गुरु के पार ही पाए ,
कोई न गुरु बिन ज्ञान कराए ।
वंदे तू छोड़ सकल अभिमान ।
जगत में गुरु से न कोई महान ।।
गुरु के बिना कभी नहीं मिलता ,
भटकन से भी त्राण ।
जगत में गुरु देते पहचान ।
जगत में गुरु से न कोई महान ।।
गुरु से शिक्षा गुरु से दीक्षा ,
नित देते वे सद्ज्ञान ।
वंदे तू गुरु की कीमत जान ।
जगत में गुरु से न कोई महान ।।
गुरु बसते सबके हृदय में ,
हर ज्ञान में उनकी शान ।
वंदे तू गुरु की कीमत जान ।
जगत में गुरु से न कोई महान ।।
गुरु की भक्ति , गुरु में निष्ठा ,
करते हैं सब ज्ञानी ।
गुरु ही ज्ञान के सागर भी ,
ऐसा कहते नित ध्यानी ।
वंदे तू गुरु की कीमत जान ।
जगत में गुरु से न कोई महान ।।
माता पिता ने जन्म दिया
और दिया गुरु सद्ज्ञान ।
धर्म , अर्थ , काम , मोक्ष जगत में ,
दिया इस पर भी विशद ज्ञान ।
वंदे मत कर तू अभिमान ।
जगत में गुरु से न कोई महान ।।
कहाँ पाप की रेखा जग में ,
कहाँ बहती पुण्य की धारा ।
सद्गुरु के चिंतन मनन ने ,
हमें भवसागर पार उतारा ।
वंदे तू कृपा गुरु की जान ।
जगत में गुरु से न कोई महान ।।
ईश्वर ने संसार बनाया ,
हम सबको इसमें भरमाया ।
गुरु ही इससे हमें बचाया ,
देकर सतत सद्ज्ञान ।
जगत में गुरु के बिना न ज्ञान ।
जगत में गुरु से न कोई महान ।।
चिंता में जब पड़े थे हम सब ,
तब चिंतन की ज्योति जलाई ।
अच्छे कर्मों की सीख दे
जग में पहचान कराई ।
वंदे मत कर तू अभिमान ।
जगत में गुरु से न कोई महान ।।
अमरनाथ त्रिवेदी
पूर्व प्रधानाध्यापक
उत्क्रमित उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बैंगरा

