जीवन मिला हमें जब ,
जरा रौशनी फैला दें ।
दूसरों के दर्द को भी ,
अपने दर्द में मिला लें।।
दीपों की रौशनी में,
हम अपना दुःख भुला दें।
कोई न हमारा दुश्मन,
सबको गले लगा लें।।
जीवन मिला हमें जब,
जरा रौशनी फैला दें।
दूसरों के दर्द को भी,
अपने दर्द में मिला लें।।
रिश्तों को हम निभायें,
फरिश्ते भी याद कर लें ।
दिल में मातृभूमि बसाकर,
अपनी मिट्टी से प्यार कर लें।।
जीवन मिला हमें जब,
जरा रौशनी फैला दें।
दूसरों के दर्द को भी,
अपने दर्द में मिला लें।।
तन के साथ मन में ,
जीवन की ज्योति जला लें।
अधिकार संग कर्त्तव्य को
भी अपने गले लगा लें।।
जीवन मिला हमें जब,
जरा रौशनी फैला दें।
दूसरों के दर्द को भी ,
अपने दर्द में मिला लें।।
जीना उसी का है जीना,
औरों को भी काम दे दे।
रोते हुए भी जन को,
हँसना हम सीखा दें।।
जीवन मिला हमें जब,
जरा रौशनी फैला दें।
दूसरों के दर्द को भी,
अपने दर्द में मिला लें।।
यह तन किसी का नहीं है,
हम मन से न हार मानें।
जीवन दिया प्रभु जब,
इंसानियत को जानें।।
जीवन मिला हमें जब,
जरा रौशनी फैला दें।
दूसरों के दर्द को भी,
अपने दर्द में मिला लें।।
कुछ तो ऐसा कर लें,
जो धर्म को गले लगा ले।
दीपों की रोशनी में,
हर पल जगमगा लें।।
जीवन मिला हमें जब,
जरा रौशनी फैला दें।
दूसरों के दर्द को भी ,
अपने दर्द में मिला लें।।
इस माटी के दीए से,
संदेश फिर से ले लें।
कोई जब हमें पुकारे,
दिल अपना बड़ा कर लें।।
जीवन मिला हमें जब,
जरा रौशनी फैला दें।
दूसरों के दर्द को भी,
अपने दर्द में मिला लें।।
अमरनाथ त्रिवेदी
पूर्व प्रधानाध्यापक
उत्क्रमित उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बैंगरा
प्रखंड- बंदरा , जिला -मुज़फ्फरपुर