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जागो उठो और आगे बढ़ो – विवेक कुमार

Vivek Kumar

सृष्टि पर,
यशस्वी कर्मठ,
संत हुए एक महान,
थी उनकी अलग पहचान।

सरल सौम्यता,
थी जिनकी शान,
वो कोई और नहीं,
विवेकानंद थे महान।

अद्भुत तेज,
धैर्य गुण सहेज,
प्रतिभा के धनी,
सिर पर जैसे हो मणि,

उच्च विचार से,
भरी शिकागो में हुंकार,
भाइयों बहनों के संबोधन ने,
जग में दिलाई पहचान।

युवा को,
दिखाया सटीक राह,
दिया जीने की चाह,
बन गए उनके पितामह।

नन्द उवाच..,
युवाओं उठो आगे बढ़ो,
डिगना नहीं, झुकना नहीं,
लक्ष्य से पहले रुकना नहीं।

ब्रह्माण्ड की,
सारी शक्तियों का,
आज तू कर संचार,
अपनी अंतरात्मा को निखार।

सच कहने के,
तरीके हैं हजार,
कितना भी करे दो चार,
सत्य तो सत्य है न पाएँगे पार।

निंदा,
किसी की न करो,
बढ़ाने की चाह हो तो,
मदद की हाथ आगे करो।

एक समय में,
करें एक ही काम,
डाल दो उसमें आत्मा तमाम,
बन जाओगे इंसान महान।

गुरु वाणी ने,
सिखाया भविष्य कर्ताओं को,
कैसे करें, अपनी राह आसान ,
जग में बढ़ाएँ अपना मान।

ऐसे जगत मसीहा को,
आज करे वंदन अभिनन्दन,
जिसने किया राष्ट्र को नमन,
देश को बनाया खिलता चमन।।

विवेक कुमार

भोला सिंह उच्च माध्यमिक विद्यालय पुरुषोत्तमपुर

कुढ़नी, मुजफ्फरपुर


 

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