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जुड़ जाओ स्कूल से- अमरनाथ त्रिवेदी

Amarnath Trivedi

बैठो न बेकार कभी भी,
जुड़ जाओ स्कूल से ।

छोड़ स्कूल तू कुछ न पाओ ,
न जीवन को तू व्यर्थ गँवाओ ।
अनपढ़ होकर तुम शरमाओ ,
न ऐसी -तैसी करो कभी भी ,
न भागो कभी स्कूल से ,
जुड़ जाओ स्कूल से ।

जहाँ खाने को तैयार हैं मिलते , पढ़ने को किताब हैं मिलते ।
पहनने को पोशाक हैं मिलते ,
नित बच्चों के दिल हैं खिलते ।
ऐसे को न छोड़ कभी भी ,
मत कर नादानी भूल से ।

बैठो न बेकार कभी भी ,
जुड़ जाओ स्कूल से ।

तुम्हारा सपना पूरा होगा ,
जनमानस में मान बढ़ेगा ।
बैठोगे विद्वानों के संग तू ,
नित्य तुम्हारा ज्ञान बढ़ेगा ।
मत कर आनाकानी कभी भी ,
मत भागो स्कूल से ।

बच्चे पढ़ते; ज्ञान हैं भरते ,
ज्ञान किरण की बात समझते ।
नई – नई बातों से नित दिन ,
जीवन हेतु सीख हैं मिलते ।
ऐसे को न छोड़ कभी भी ,
मत कर नादानी भूल से ।

बैठो न बेकार कभी भी ,
जुड़ जाओ स्कूल से ।

एक भी बच्चा छूट न पाए ,
इधर -उधर भटक न पाए ।
हर टोला से टोली बनाकर ,
नित दिन आओ स्कूल में ।
मत कर आनाकानी कभी भी ,
मत भागो स्कूल से ।

कोई रास्ता – कोई ठौर नही है ,
बिन विद्या का दौर नही है ।
न ऐश -आराम में पड़ो कभी भी ,
न समय को व्यर्थ करो कभी भी ।
मत कर आनाकानी कभी भी ,
मत कर नादानी भूल से ।

बैठो न बेकार कभी भी ,
जुड़ जाओ स्कूल से ।

जीवन मे संघर्ष अभी है ,
स्वर्णिम युग का लक्ष्य तभी है ।
पढ़ -लिखकर बनो बड़ा तुम ,
यह हम सबका अरमान अभी है ।

जीवन मे यदि कुछ करना है ,
अपने बल पर ही चलना है ।
कदम न रखो पीछे कभी भी ।
अगर तुमको नित बढ़ना है ।
ऐसे को न छोड़ कभी भी ,
मत कर नादानी भूल से ।

बैठो न बेकार कभी भी ,
जुड़ जाओ स्कूल से ।

रचयिता :-
अमरनाथ त्रिवेदी
प्रधानाध्यापक
उत्क्रमित उच्च विद्यालय बैंगरा
प्रखंड – बंदरा ( मुज़फ़्फ़रपुर )

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