जैसे पास हमारे पापा
मेरा क्या सब कुछ तुम से है,
प्राणों से तुम प्यारे पापा।
हिय के अद्भुत सहज सोम तुम,
शीतल चाँद हमारे पापा।
बहुत याद आते हो पापा..
जब भी देखूँ दर्पण मैं तो,
नजर मुझे तुम आते पापा।
अंतर्मन में रोम रोम में,
आकर तुम बस जाते पापा।
बहुत याद आते हो पापा…
जेठ दुपहरी सा जीवन है,
उपवन सा छा जाते पाया।
सीख तुम्हारी लेकर चलती,
पल पल में बस जाते पापा।
बहुत याद आते हो पापा..
इस बसुधा के तिमिर तोम को,
बन सूरज हर जाते पापा।
यादों में मैं बेसुध बैठूँ,
जैसे पास हमारे पापा।
बहुत याद आते हो पापा..
डॉ स्नेहलता द्विवेदी “आर्या”
उत्क्रमित कन्या मध्य विद्यालय शरीफगंज कटिहार
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