जगमग ज्योति जली दीपों की, यह धरती मुसकायी है,
कण-कण आलोकित करने को, यह दीवाली आयी है |
नवयुग के नवसृजन हेतु जब भाव सँजोया जाता है,
अंधकार को मार भगाने को तब मन अकुलाता है,
जड़-चेतन के मिलने से जब दीप विनिर्मित होता है,
तम की छाती चीर वही आशा की किरणें बोता है,
इस माटी के दीपक ने अनवरत ज्योति बिखरायी है,
कण-कण आलोकित करने को, यह दीवाली आयी है |
हर अंतस में एक दीप प्रज्जवलित सदा ही रहता है,
ईश-मिलन की चाहत में जो आत्मरूप में पलता है,
साधु, संत, तपस्वी सबको यही सतत समझाते हैं,
अपने दीपक आप बनो, यह शुचि संदेश सुनाते हैं,
प्रभु प्रदत अनुपम मानव तन कल्पवृक्ष वरदायी है,
कण-कण आलोकित करने को, यह दीवाली आयी है |
हर युग में असत्य पर सत्य की सदा विजयश्री होती है,
नीति न हो तो धन समृद्धि भी अपना वर्चस खोती है,
संस्कृति सीता का धरती पर हरण जब कभी होता है,
धर्म शक्ति द्वारा अधर्म का यहाँ मरण तब होता है,
दीवाली की दीप ज्योति में यह चेतना समायी है,
कण-कण आलोकित करने को, यह दीवाली आयी है |
रत्ना प्रिया
Ratna Priya
मध्य विद्यालय , हरदेवचक
प्रखंड – पीरपैंती