🙏कृष्णाय नमः🙏
विधा:-मनहरण घनाक्षरी।
सप्तमी को पट खुले,
उपासक झूम उठे,
अष्टमी को पंड़ालों में,भक्तों की कतार है।
नर-नारी ध्यान मग्न,
प्रज्वलित ज्योत पूंज,
लेकर सौभाग्य आईं,देवी का सत्कार है।
धर्म पर अधर्म का,
होता है प्रहार जब,
सृष्टि के सामंजन में,शक्ति अवतार हैं।
नवरात्र महाव्रत,
साधक विधान कर,
हवन अर्पण कर,देवी को स्वीकार है।
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शत्रुओं से घिरे जब,
नहीं युक्ति सूझे तब,
माता के शरण गह,दुखों का निदान है।
पावन नवमी पर,
क्षमा माँगें कल्याणी से,
निरंतर हो उन्नति,भरा अभिमान है।
कन्या में छवि दिखे,
माता,बहन समान,
होने न दें अपमान,शुरू अभियान है।
उर बने अग्नि कुण्ड,
होवे भस्म अनाचार,
चुन लिया धर्म पथ,करम महान है।
एस.के.पूनम।
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