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धोखे से बचाता हूँ – एस.के.पूनम।

S K punam

कृष्णाय नमः
मनहरण घनाक्षरी
(धोखे से बचाता हूँ )

चलें चल पाठशाला,
देखो खुल गया ताला,
गुरु खड़े द्वार पर,उनको बुलाता हूँ।

वर्णमाला सीखकर,
गोल-गोल लिखकर,
दादा-दादी नाना-नानी,सभी को लुभाता हूँ।

बगिया में झूला झूल,
चुन लिया गिरा फूल,
किताबों में छुपा कर,कक्ष महकाता हूँ।

गिनती पहाड़ा सीख,
बाजार का भाव लिख,
सावधान करुँ और,धोखे से बचाता हूँ।

एस.के.पूनम।

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